
सपनों को साकार करो: डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की प्रेरणादायक कहानी
आज भारत के महान वैज्ञानिक, शिक्षक और पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की पुण्यतिथि है। उन्होंने कहा था: “मैं चाहता हूँ कि लोग मुझे राजनेता नहीं, बल्कि एक शिक्षक के रूप में याद करें।” उनका संपूर्ण जीवन सपनों, सादगी और सेवा का प्रतीक है।
बचपन से ही एक सपनों का पुरोधा
डॉ. कलाम का जन्म 15 अक्टूबर, 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम में एक साधारण मुस्लिम परिवार में हुआ था। बचपन में वे औसत छात्र थे, लेकिन उनकी सीखने की ललक और मेहनत ने उन्हें विशिष्ट बना दिया। उनके शिक्षक उन्हें “तेजस्वी और मेहनती” मानते थे। कलाम घंटों गणित का अध्ययन करते थे, जो उनका प्रिय विषय था।
राष्ट्रपति के रूप में सादगी और ईमानदारी
2002 से 2007 तक भारत के 11वें राष्ट्रपति के रूप में सेवा देने के बावजूद, कलाम हमेशा सादगी और निष्कपटता के लिए जाने जाते थे। उनके सचिव पी.एम. नायर ने “कलाम इफेक्ट” पुस्तक में लिखा है कि, राष्ट्रपति के रूप में उन्होंने अपने 50 रिश्तेदारों को दिल्ली बुलाया और उनके लिए बस की व्यवस्था की। पूरी यात्रा का खर्च (2 लाख रुपये) उन्होंने अपनी जेब से भरा! विदेश से मिले उपहार उन्होंने सरकारी खजाने में जमा करा दिए थे।
शिक्षा के प्रति अटूट प्रेम
राष्ट्रपति पद छोड़ने के अगले ही दिन वे छात्रों को पढ़ाने वापस लौट आए। उनका मानना था कि “शिक्षक का कार्य केवल ज्ञान देना नहीं है, बल्कि छात्रों में चरित्र, रचनात्मकता और आत्मविश्वास विकसित करना है।”
कलाम साहब के अमर विचार
- “सपनों को साकार करने के लिए पहले सपना देखना पड़ता है।”
- “उत्कृष्टता एक निरंतर प्रक्रिया है, कोई दुर्घटना नहीं।”
- “असफलता मुझे कभी नहीं हरा सकती, क्योंकि मेरी सफलता की परिभाषा ही मजबूत है।”
- “युवाओं को अलग सोचना चाहिए, नए रास्ते खोजने चाहिए और असंभव को भी हासिल करने की तैयारी रखनी चाहिए।”
आज भी अमर प्रेरणा
27 जुलाई, 2015 को शिलांग में छात्रों को लेक्चर देते समय ही उनका निधन हो गया। लेकिन उनके विचार और संदेश आज भी युवापीढ़ी को प्रेरित करते हैं। उनके जन्मदिन (15 अक्टूबर) को “विश्व विद्यार्थी दिवस” के रूप में मनाया जाता है।
हम भी कलाम साहब के सपनों को आगे बढ़ाएं, मेहनत करें और देश की सेवा करें।
